The best way to permanently enslave a people is to replace their memories, their mythologies, their idioms ~ Sanjeev Sanyal पिछले दो लेखों में हमने धर्मनिरपेक्षता के इतिहास और उसके भारतीय प्रसंग में सामाजिक उपयोगिता पर चर्चा की थी । इस लेख में हम कुछ पाश्चात्य शब्दावली के भारतीय परिवेश में राजनैतिक एवं सामाजिक उपयोग और प्रासंगिकता पर बात करेंगे । ये एक बहुत तीखी लेकिन सरल टिपण्णी होगी, जिससे शायद सबका सहमत हो पाना नामुमकिन होगा - लेकिन " असहमति पर सहमति " का पालन करते हुए हम आगे बढ़ते हैं । हम बात कर रहे हैं कुछ ऐसे शब्दों की जो हमारे देश में पश्चिम सभ्यता से आयात किये गए हैं और अमूमन रोज़ाना अख़बार और टीवी के माध्यम से हमें इनकी काफी बड़ी मात्र में ख़ुराक़ मिलती रही है । बहुलवाद (Plularism), सहनशीलता (Tolerance), बहुसंस्कृतिवाद (Multiculturalism) , भूमंडलीकरण (Globalization) जैसे शब्द इसी शब्दावली के अंतर्गत आते हैं , मूलतः जिनका भारतीय सभ्यता से क़रीब ५००० साल पुराना रिश्ता है । इन शब्दावली को समझने के लिए हमें भूमं...
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